२०१९ लोक सभा चुनाव उपरान्त, राहुल-मोदी संवाद
संतराम बजाज

“नमस्कार मोदी जी|,” फोन उठाने पर आवाज़ आई|
“नमस्कार, कौन बोल रहा है”
“इतनी जल्दी भूल गए ? वही ‘चौकीदार चोर है’ वाली मधुर आवाज़ वाला|”
“ही!ही! – अरे राहुल बाबा – तुम्हारा हारने के बाद रो रो कर गला कुछ सूख गया है, इसलिए पहचान नहीं पाया| वैसे गला तो मेरा भी सूख गया है, इस बार बहुत ज़्यादा बोलना पडा| देखा वह तुम्हारा नारा “ चौकीदार चोर है”, बिलकुल बेकार साबित हुआ| कहो, फोन क्यों किया? क्या कोई गाली देनी बाक़ी रह गई थी?”
“क्यों शर्मिन्दा करते हैं मोदी जी, पिछ्ला कहा सुना माफ़| कल आप भी अपनी पार्टी के प्रधान मंत्री चुने गए और इधर मैं भी पार्टी का प्रधान बना रहा |
फोन इसलिए किया है कि आप के न्योते का RSVP करना था| इस बहाने सोचा आप से कुछ बात भी कर लूंगा| टीवी पर तो आप को बधाई दे ही चुका हूँ|”
“अच्छा, तो तुम सर्वदलीय भोज यानी ‘ऑल पार्टी डिनर’ पर आ रहे हो|”
“आ तो रहा हूँ, पर मैं यह खिचड़ी नहीं खाऊंगा | मैं तो अपना पीजा ही लाऊंगा|आप भी खा कर देखना, मेरी नानी की स्पेशल recipe से बनाया गया है|”
“हाँ, भई हाँ ज़रुर | और फिर पार्टी तो आप के विदेशी स्टाइल की ‘ब्रिंग- ए – प्लेट’ यानी ‘अपना खाना साथ लाओ’ वाली रखी है| हमारी ओर से चाय पानी, salad और ढेरों खिचड़ी रखी जायेगी| इसी लिए तुम्हें थोड़ी बहुत खिचड़ी तो खानी ही होगी, क्योंकि अब खिचड़ी राष्ट्रीय भोज बनने जा रहा है|”
“क्या मतलब?”
“मतलब यह कि खिचड़ी में जैसे चावल और दाल मिल कर एक हो जाते हैं, हम सब भारतीय एक हो गए हैं और सप्ताह में एक दिन सब खिचड़ी खा कर इस बात का सबूत देंगे|”
“अच्छा, ये बताइये कि किस किस को बुलाया है?”
“भई, न्योता तो सब को भेजा है| ख़ास तौर पर जिन जिन ने मुझे गालियाँ दी उन्हें| ‘महा मिलावटी गठबंधन, टुकड़े टुकड़े गैंग, पकिस्तान आर्मी चीफ के साथ जप्फी वाले तुम्हारे ख़ास सिध्धू, मुस्लिमों के रक्षक उवेसी और दिल्ली के राजा केजरीवाल तक को | हाँ केजरीवाल को मैं ने कह दिया है कि अपनी खांसी ज़ुकाम की दवाई साथ लेता आये| ममता दीदी और मायावती बहन जी अभी कुछ रूठी रूठी लग रही हैं| ममता दीदी कुछ ज़्यादा ही दुखी लग रही हैं, सुना है वह दुःख भरी कवितायेँ तक लिखने लगी हैं|
वैसे वह तुम्हारी पार्टी और लेफ्ट वालों से भी ख़ास खुश नहीं है| राम, बाम और श्याम कहती है|
अब रस्गुल्ले तो खाने को नहीं मिलेंगे|”
“मिलेंगे, वे दोनों भी मान जायेंगीं, देखो मैं कितनी जल्दी मान गया| सब से पहले मैं ने ही आप को बधाई दी थी|”
“गालियाँ भी तो तुम ने सब से ज़्यादा दी थीं!”
“सॉरी, वह तो मुझे, मेरे सलाहकार, जो लिख कर दे देते थे मैं बोल देता था, अब भूल जाईये, ‘जो हुआ सो हुआ!’”
“तो तुम भी अपने गुरु ‘सैम पिट्रोधा’ वाला dialogue नहीं भूले| भई हमें तो उन का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि उन के इस ‘हुआ सो हुआ’ ने हमें कितने वोट दिलवा दिए|
“क्या करें, उस की हिन्दी कुछ कमजोर थी|”
“तो तुम्हारी हिन्दी कौन सी मज़बूत है? कितने दिन तक तो तुम्हें ‘पप्पू’ का मतलब समझ नहीं आया |”
“वह तो ठीक है, पर आप के ‘पप्पू ,पप्पू’ ने मुझे घर घर पहुंचा दिया और मैं लीडर बन गया और कांग्रेस का प्रधान भी|अच्छा सच सच बताईये, ये जो हमारे सहयोगी कहते थे कि ‘EVM’ से छेड़ छाड़ यानी ‘एवरी वोट फॉर मोदी’ वाली बात में कितना सत्य है|वह उवेसी कहता है कि आपने हिन्दू वोटरों के दिमाग से छेड़ छाड़ की है|”
“ बच्चू, इस रहस्य को समझने के लिए ५ वर्ष इंतज़ार करो, जनता फिर समझा देगी|”
“वह तो बहुत दूर की बात है, आप ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा| कई राज्यों में तो आप ने हमारा सूपड़ा ही साफ़ कर दिया है|हमें पहले की तरह लोकसभा में opposition leader का स्थान भी नहीं मिल पायेगा| बहुत ज्यादती की है | हमारी खानदानी सीट तक ले ली|”
“ ओह, वह अमेथी की, भई,क्या किया जाए, जनता ने अपना फैसला सुना दिया है|ज़्यादा घबराने की ज़रुरत नहीं है, हमारा नारा है,’सब का साथ, सब का विकास और सब का विशवास”, और इस विकास में कोई भेद भाव नहीं होगा| तुम भी इस में शामिल हो| हमारा तुम से कोई पर्सनल झगड़ा तो था नहीं, हम तो परिवार-वाद के विरुद्ध लड़ रहे थे|”
“मैं कया कहूं, आप बुरा मान जायेगे| बादल परिवार को आप भूल जाते हैं|”
“चलो, छोडो इस किस्से को, यह बताओ अब क्या इरादे हैं? कुर्सी पर चिपके रहोगे, प्रियंका को कांग्रेस प्रधान बनाओगे, या फिर सब कुछ छोड़ दोगे|”
“कुछ समझ में नहीं आ रहा| छोड़ दिया तो फिर से हाथ आये न आये, कहना मुश्किल है | हर बार मनमोहन सिंह जैसे अच्छे आदमी तो नहीं मिलेंगे| बहुत सारे तो ऐसे ही दरबारियों की तरह आगे पीछे फिरते रहते हैं| उन में से कुछ तो इलेक्शन में चित्त हो गए और कुछ एक को चलता करेंगे| मैं ने तो बताया भी है कि अशोक गिलोट, चिदाम्बरण और कमलनाथ, अपने अपने बेटों को टिकट दिलाने में ज़्यादा समय लगा रहे थे और पार्टी के काम में कम|
हमारी वर्किंग कमेटी की पहली मीटिंग में थोड़ा पोस्ट-मोर्टेम के बाद मुझे बना रहने के लिए कहा गया है, बल्कि मुझे पहले से ज़्यादा अधिकार भी दे दिए गए हैं| |”
“सुना है तुम पद छोड़ने को तैयार हो गए थे, पर तुम्हारी माताश्री ने ऐसा करने से रोक दिया|”
“हाँ, यह सच है, मैं जोश में आकर कुछ भी करने को तैयार हो जाता हूँ| मेरी माँ बड़ी समझदार है|उस ने मेरी दादी से स्यासत की सब चालें सीख रखी हैं|उन्होंने ने सब संभाल लिया है, हाँ इस्तीफे का कुछ ड्रामा सा करना पड़ा|”
“बिलकुल ठीक सलाह दी है तुम्हारी मम्मी ने| यह तुम अच्छा करते हो कि अपनी माँ की सुनते हो| तुम ने देखा है न कि मैं अपनी माँ का आशीर्वाद लेने अभी भी जाता रहता हूँ|”
“पर मैं ये सब आप को क्यों बता रहा हूँ, फिर कहीं मुसीबत में न फंस जाऊं|”
“घबराओ नहीं! इलेक्शन में हम दो अलग अलग विचार-धाराओं के कारण एक दुसरे का विरोध कर रहे थे, अन्यथा हम एक ही पेशे के हैं| इसलिए मैं तुम्हारा बुरा क्यों चाहूंगा| मेरी मानो तो कुछ दिन मेरी तरह ‘केदारनाथ और बद्रीनाथ’ लगा आओ| वहां से कोई न कोई रास्ता दिख जाएगा|”
“सोचूंगा, पहले मुझे नानी से मिलने इटली जाना है कुछ दिनों के लिए, मम्मी को भी आराम की ज़रुरत है | वापस आकर बात करूंगा|”
“क्या प्रियंका और तुम्हारे जीजा वाड्रा भी साथ जा रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट से आज्ञा ले ली है ना! याद है ना तुम सब ज़मानत पर हो| वापस न आये तो, घर में घुस के…”,मोदी जी बनावटी गुस्से से बोले|
“अब इतने कठोर मत बनिए, मैं ने कहा था ना,कि सब कुछ प्यार से करूंगा, कुछ भी हो जाए,मेरी ओर से प्रेम ही प्रेम मिलेगा आप को| आप से भी अब यही अपेक्षा है|”
“पहली बार तुम ने अच्छी हिन्दी बोली है, इस का लिहाज़ रखूंगा|”
“धन्यवाद|”
“शुभ यात्रा, अभी से कह दूं |”
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