आ जा, अब तो आ जा!
संतराम बजाज

दो तीन दिन से बड़ा परेशान फिर रहा हूँ!
ख़ास कर आज सुबह से बैठा हूँ? न कहीं जा सकता हूँ, यहाँ तक कि बाथरूम जाने में हिचकचाहट हो रही है कि कहीं वह आ न जाए और दरवाज़ा न खुलने पर वापस चला जाए|
आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भी कौन VIP होगा, जिस की आप इंतज़ार कर रहे हैं|
मैं कोई सस्पेंस का माहौल नहीं बना रहा हूँ, चलिये आप को अपनी समस्या बता ही दूं |
वैसे जब बताऊंगा तो आप हंस भी देंगे कि यह कौन सी नई बात कह दी मैं ने| ऐसा तो सब के साथ होता है|
परसों से घर के किचन का सिंक पानी से भरा पड़ा है, न जाने क्या रुकावट आ गई है, जैसे मुम्बई में मौनसून आने से सड़कें तालाब हो गई हैं |
अब इसे कोई विशेषज्ञ ही हल कर सकता है इसलिए Plumber को बुलाया है|
हाँ, हाँ, मैं जानता हूँ, आप क्या कहने जा रहे हैं, कि क्यों नहीं Bunnings के हार्डवेयर स्टोर से एक प्लंजर ले आते और यह काम खुद ही कर लो| तो भई, आप को बता दूं कि सारी अक्ल भगवान् ने आप को ही नहीं दी, थोड़ी बहुत मुझे भी दी थी, और उस का इस्तेमाल कर चुका हूँ|
और इंतज़ार कर रहा हूँ, सुबह से…
…वैसे बैठे बैठे और किस्से भी याद आ रहे हैं| घर में आ कर सर्विस देने वाले इलेक्ट्रिशियन या सामान पहुँचाने वाले डिलीवरी करने वालों के नखरे| कभी समय पर न आना तो जैसे उन की आदत सी है| हालांकि कई बार उन के लिए भी मुश्किल होता है कि एक जॉब ख़त्म कर दूसरी पर सही समय पर पहुँच पायें परन्तु फोन कर के बताया तो जा सकता है|
डिलीवरी करने वाले तो आजकल सामान एक तरह से पटक कर चल देते हैं| कुछ दिन पहले एक मैट्रेस खरीदी और बेडरूम फर्स्ट फ्लोर पर है, इस बात की उन्हें परेशानी थी| काफी सिर खपाना पड़ा उन के साथ, तब कहीं ऊपर पहुँची वह मैट्रेस |
एक बार नये फ्रिज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, पूरी पैकंग समेत छोड़ कर चल दिए| अन्दर क्या है, टूटा हुआ है या ठीक है, चैक भी नहीं कर सकते|
“भैया, यह सब कबाड़ तो साथ ले कर जाओ,” कहने पर बोले, “यह हमारा काम नहीं है और यदि कोई गड़बड़ी निकलती है तो स्टोर वालों को फोन करो, वह किसी दूसरे को भेज कर उठवा लेंगे, क्योंकि हम तो केवल डिलीवर करते है,” ऐसा कह वे चल दिए|
चलिए वापस पहले वाली बात पर, कोई प्लम्बर मिल ही नहीं रहा था, सब बिज़ी ! एक हफ्ते की वेटिंग लिस्ट|
एक मिला, कहने लगा पहले आ कर देखेगा, कोट देगा, वैसे कोट फ्री में| हम ने हाँ कह दिया और वह भाई आ भी झटपट गया| हम बड़े हैरान हुए पर खुश भी कि कोई तो ढंग का तमीज़दार बन्दा मिला|
उस ने आकर किचन में देखा, बाहर ड्रेन-पाइप को देखा, इधर उधर झांका और बड़े ड्रामाई अंदाज़ में बोला कि समस्या गंभीर लगती है| ड्रेन-पाइप में पेड़ की जड़ें घुस गई हैं |
“अरे भई, यहाँ तो कोई पेड़ ही नहीं है और न ही पड़ोसियों के हैं, तो जड़ें कहाँ से आ गयी?” हम बोले|
“आप नहीं जानते साहिब, ये बिल्डर लोग बड़े चालाक होते हैं, मकान बनाते समय पेड़ पौधे तो काट देते हैं पर जड़ें नीचे छोड़ देते हैं| जैसे सांप कुंडली मार लेता है, ये जड़ें पाइप को इसी तरह जकड़ लेती हैं और फिर उस का गला दब जाता और वह घुट घुट कर जवाब दे देती है|”
“अरे यार, यह सांप-वांप की बातें कर के डराओ मत और मज़ाक़ छोडो| बस जरा अन्दर किचन सिंक में कोई तार-वार डाल कर उसे एक बार चालू कर दो,” हम ने सुझाव दिया|
“क्या बात करते हैं जनाब, हम कानून के दायरे में काम करते हैं, नहीं तो हमारा लाइसेंस कैसल हो सकता है|
मैं इस मोहल्ले में ऐसे कई ऐसे केस देख चुका हूँ|”
“खर्चा बताओ कितना आयेगा?” हम ने झल्लाहट में पूछा|
“कोई ज़्यादा नहीं, यही कोई तीन साढ़े तीन हज़ार !” उस ने बड़े आराम से उत्तर दिया|
हम बेहोश होते होते बचे! हमें उस की सांप वाली बात पाइप की बजाये अपने ऊपर लागू होते दिखाई दे रही थी| वह हमारी हालत का मज़ा लेता दिखाई दिया |
“यह भी, यदि आप अभी हाँ कह दें और कैश पेमेंट करें तो, नहीं तो बाद में कुछ ज़्यादा भी हो सकता है|
दो तीन लोगों का काम है, जमीन की खुदाई कर, पुराने पाइप को निकाल नई लाइन डालनी होगी|”
“भई, इतनी बड़ी रक़म का इतनी जल्दी प्रबंध नहीं हो सकता,” हम ने उस से जान छुड़ाने के लिए बहाना बनाया|
लेकिन वह भी बड़ा घाघ था, बोला,” कोई बात नहीं, आधा आज दे दो, शेष आधा काम ख़त्म होने पर दे देना|”
खैर, हम इतने गए-गुज़रे भी नहीं हैं कि उस की बातों में आ जाते, हम ने उसे बोल दिया, “थैंक यूं! मैं शाम को घर में सलाह कर के आप को कल फोन करूंगा”|
फिर एक मित्र द्वारा पता चला कि वह एक भरोसेमंद प्लंबर को जानते हैं, उस से बात हुई और उसने आज आने का वादा किया, पर बहुत बिज़ी होने के कारण पता नहीं कि किस टाइम खाली होगा|
उस के इंतज़ार में अब सुबह से बैठा, अपने आप के साथ अन्ताक्षरी खेल रहा हूँ| इंतेज़ार, वादा, आजा आदि शब्द लगे हों, दिल बहल जाएगा|
अनारकली फिल्म का गाना याद आ रहा है, “आ जा, अब तो आजा, मेरी किस्मत के खरीदार, अब तो आजा|”
या महल का “आयेगा, आयेगा, आयेगा, आने वाला”- और कई पुरानी फिल्मों के – “लारा लप्पा, लाई रखदा, अड्डी टप्पा अड्डी टप्पा लाई रखदा, दे कर झूठे लारे|”- “क्या हुआ तेरा वादा?”- “हम इंतज़ार करेंगे तेरा कियामत तक”, आदि आदि …..
….हंसिये मत, और कोई चारा भी तो नहीं|
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