ऐसे थोड़े न होता है ?
संतराम बजाज

कोई तो रोके मोदी जी को| किस स्पीड से अभियान पे अभियान चलाए जा रहे हैं|हिन्दुस्तान के अच्छे भले सिस्टम को बदलना चाहते हैं|
सब घोटाले बंद करवा रहे हैं और जो हो चुके हैं उन के करने वालों को तिहाड़ जेल में डाले जा रहे हैं| भला कोई बात हुई? आखिर वे कितने इज्ज्दार और नामी लोग थे|उन्हें इस तरह से असुविधाएं ठीक है क्या? हालांकि सुनते हैं कि उन्हें वहां भी पहले जैसी सुविधाएं हैं, रोस्ट मुर्गा और एर-कंडीशंड कमरे मिले हुए हैं|

लेकिन अब देखो, घोटाले कम या बंद होने से इकोनोमी (Economy) पर कितना बुरा असर पड़ रहा है, इकोनोमी ढीली पड़नी शुरू हो गई है ना! घोटालों से ही तो भारत में पैसा बाज़ार में आता था, एक ने दिया, दुसरे ने लिया और सब मिल जुल कर खाते थे| पैसा घर की तिजौरियों में या बिस्तर के गद्दों में रखते थे कि जब ज़रुरत पड़े झट से निकालें और बैंकों के धक्के न खाने पड़ें|कितना आराम था, सब लोग खुश थे|यदि न होते तो पड़ोसी देश की तरह फ़ौजी हकूमत न मांगते| लोक तन्त्र का बोल बाला था| पिछले ७२ साल से भारत में कितने ही ‘राजे महाराजे पैदा हो गए है, इतने तो अँगरेज़ लोग भी नहीं छोड़ कर गए थे| हर प्रदेश में एक था, बेटा या बेटी तैयार थे, लेकिन मोदी जी को यह सब नहीं भाया और सारे सिस्टम को झिंझोड़ कर रख दिया है| खलबली सी मच गई है|
लोग मंदिरों, गुरद्वारों में दिल खोल कर दान देते थे, पीरों की दरगाहों पर कीमती चादरें चढाते थे| सयासी पार्टियों को ‘चन्दा ’ देते थे, होटलों में जा खाते और पीते थे| यह २ नम्बर का धंधा बड़ी ‘इमानदारी’ से चलता था| पर अब क्या हो रहा है? इन्कमटेक्स और सीबीआई के छापों के डर से सब के चेहरे मुरझा गए हैं, एक तरह से गम की लहर दौड़ गई है|
लोग डर के मारे बड़ी बड़ी कारें नहीं खरीद रहे, विदेशों में जाने से घबराने लगे हैं कि कहीं कि कहीं इन्कमटेक्स वाले घर की घंटी न बजा दें और तलाशी पर उतर आयें|
“पैसा कहाँ से आया” का उत्तर देने में कठिनाई होगी| और तो और ये इनकम टेक्स वाले भी कोई इतने खुश नहीं है | क्योंकि इन का धंधा भी मंदा पड़ गया है|तो ऐसे अर्थ-व्यवस्था का हाल तो बुरा होना ही है|
आप सोचेंगे कि मैं यह क्या बेतुकी बातें कर रहा हूँ और इन टेक्स चोरों और घुटाले करने वालों का समर्थन कर रहा हूँ| तो भैया, देश सब से ऊपर होता है और देश की इकोनोमी यदि थोड़े बहुत झूट और फरेब से संभल जाए तो क्या हर्ज है|गीता में भी तो लिखा है कि यदि किसी की भलाई के लिए झूट बोला जाए तो वह झूट नहीं कहलाता|
और भैया जी, पहले भी तो भारत चल रहा था | यह अलग बात है कि लोग कहा करते थे , “भारत भगवान् के सहारे चल रहा है”
तो अब भी चलने दो ना, भगवान् के सहारे, क्या प्रॉब्लम है?
Short URL: https://indiandownunder.com.au/?p=14214