हम दोस्तों की ज़ूम मुलाक़ात
कोरोनावायरस लॉकडाउन..(वीक 6)
संतराम बजाज
“यार, तुम अभी कच्छे-बनयान में ही घूम रहे हो?” मीटिंग के शुरू होते ही मैं ने दर्शन सिंह को देखते ही कहा|
“जब कहीं जाना ही नहीं तो सूट पहनने की क्या ज़रुरत है|”
“वह तो ठीक है, लेकिन ढंग के कपड़े तो पहनने चाहियें| यह देखो मुत्तुस्वामी को, क्या जेंटलमैन लगता है”
“हाँ, लेकिन उस के चेहरे को देखा है| न शेव, न दाढ़ी बनाई है और सिर के बाल देखो, मेरा बड़ा भाई लगता है|”
“अच्छा, दर्शन सिंह यह बताओ, तुम सारा दिन क्या करते हो?” मुत्तुस्वामी ने प्रश्न किया|
“करता क्या हूँ? भई! बड़ा मज़ा आ रहा है, काम पर जाने की भगदड़ नहीं है, जब मर्जी है सोओ, जब मर्जी है जागो, खाने पीने का कोई टाईमटेबल नहीं| सच बताऊँ, आधा टाइम तो बीवी से झगड़े में लग जाता है| वह कहती है कि गार्डन में काम करो, कभी कहती है कि वाशिंग मशीन से कपडे निकाल बाहर धूप में डाल दो, और कभी घर vacuum कर दो|”
“और बाक़ी का आधा टाइम?” मैं ने उस की बात को काटते हुए पूछा|
“बाक़ी का मैं खाने और पीने में लगा देता हूँ,” उस ने पीने शब्द को जरा लंबा खींचते हुए इस अंदाज़ में कहा कि हम सब हंस दिए|
दर्शन सिंह मुत्तुस्वामी से बोला, “अच्छा तुम बता सकते हो कि तुम्हारे पास कितने कच्छे हैं, स्वामी?”
“क्या बेतुका सवाल है?”
“बेतुका नहीं, अच्छा! मैं बता सकता हूँ, मेरे पास कितने कच्छे, कितनी बन्यानें और कितनी कमीजें हैं और किस रंग की टाईयां हैं| अब तो ये भी पता है कि घर में कितने कमरे, और कितनी खिड़कियाँ है, किस रंग के पर्दे लगे हुए हैं| Upstairs बेडरूम में जाने के लिए सीढ़ी की 15 पौडियां चढ़नी पड़ती हैं, और 15 उतरने पर, पूरी तीस, अगर दस बार ऊपर नीचे तो हो गयी न 300|”
“मैं ऐसे फजूल कामों में समय बर्बाद नहीं करता,” मुत्तुस्वामी ने पलट कर जवाब दिया|
“यह फजूल नहीं, observation है |दिमाग लगाना पड़ता है|”
“और आप क्या करते हैं बजाज भाई?” मुत्तुस्वामी ने अचानक मेरी ओर तीर छोड़ा|
“ऐसा है, अब बीवी तो रही नहीं, इसलिए वह आधा टाइम मैं दूसरे कामों में लगाता हूँ, जैसे पढ़ना और लिखना| मैं ने महात्मा गांधी की आत्मकथा,‘सत्य के प्रयोग’, दुबारा से पढ़ना शुरू किया हुआ है| एक काम और कर रहा हूँ कि पुराने वीडियो अब अपने कंप्यूटर पर लोड कर रहा हूँ| और बताऊँ, कुछ किचन में थोड़े बहुत नये नये तजुर्बे| अब खिचड़ी बनानी सीख गया हूँ|”
“और मुत्त्स्वामी जी आप ने कुछ बताया ही नहीं,” दर्शन सिंह ने बड़े ड्रामाई अंदाज़ में प्रशन किया|
“मैं तुम्हारी तरह, न तो बीवी से झगड़ा करता हूँ और न ही तुम्हारी तरह पीता हूँ,” मुत्तुस्वामी भी उसी अंदाज़ में बोला|
“मैं ने घर के बैक यार्ड को ‘वेजी गार्डन’ बना दिया है| कई प्रकार की सब्जियां, हरी मीर्च और हर्बज़ जैसे पुदीना, धनियाँ लगा दिए हैं|”
“बजाज जी, आप ने ट्रम्प साहिब की वह बात सुनी है?” दर्शन सिंह ने बात बदलते हुआ पूछा|
”कौन सी बात?”
“अरे वह कह रहा है कि कोरोना के इलाज के लिए डिसइनफेक्टंट (disinfectant) का इंजेक्शन लगा लो, वायरस तो वायरस बाकि सब कीड़े भी मर जायेंगे|”
“हो सकता है, न्यूटन की तरह उस के सिर पर भी सेब गिरा है, या Archimedes की तरह नहाते हुए उसे कुछ अचानक ज्ञान हुआ है,” मैं ने उत्तर दिया, “शुक्र है कि वह उसकी तरह नंगा ही Eureka, Eureka! कह कर सड़कों पर भागा नहीं|”
“अरे वह तो मज़ाक कर रहा था,” मुत्तुस्वामी ने याद दिलाया|
“ऐसा भद्दा मज़ाक भी कोई करता है| पहले टॉयलेट पेपर की कमी थी, अब कीड़े मारने वाली दवाईयों की शोर्टेज हो जायेगी| वैसे वह भी हमारे राहुल बाबा से कम नहीं है, जो मुंह में आता है बक देता है,” दर्शन सिंह को गुस्सा आ रहा था, “और तो और, कुछ अमरीकन उसकी बात को सच मान कर डिसइंफेक्टेंट की बोतलें खरीद रहे हैं।
“हाँ एक ने तो सचमुच पी ही लिया,” मुतुस्वामी बोला।
“भई, कुछ भी कहो इस कोरोनावायरस के कुछ अच्छे नतीजे भी सामने आ रहे हैं,” मैं ने फिर मूड बदलने के लिए कहा|
“पहले लोग एक ‘Rat Race’ के चक्कर में इतने व्यस्त हो गए थे कि किसी के पास टाइम ही नहीं था| अब सब घरों के अंदर बंद हैं और इतना टाइम है कि परिवार के साथ घर में बैठ क्वालिटी टाइम बिता रहे हैं| घर में खाना बना रहे हैं, गार्डनिंग आदि कर रहे हैं | बड़े बड़े बॉलीवुड के फ़िल्मी सितारे अपने घर के सारे काम करते, प्लेटें धोते हुए, यहाँ तक कि घर में बाल काटने के वीडियो तक, डाल बड़ा गर्व महसूस कर रहे हैं| “और फिर प्रदूषण भी कम हो गया है,” मुत्तुस्वामी ने भी टिप्पणी की|
“पता नहीं यह सब कब समाप्त होगा?” दर्शन सिंह बोला|
“तब तक हमें अपनी सेहत का ख्याल रखना होगा| मैं ने तो घर में ट्रेडमिल और bike रखा हुआ है| हालांकि मेरी मशीन काफी पुरानी है, और उस में से तरह तरह की आवाजें आती रहती हैं| मुझे तो “कोरोना, कोरोना” की धुन सुनाई देती है, मैं भी फ़िर धुन का पक्का हूँ, एक घंटा दबा के एक्सरसाइज ज़रूर करता हूँ।”
मेरी इस बात पर हम सब हंसने लगे |
( अच्छा, अगली ज़ूम मीटिंग तक बाई बाई)
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