फीजी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन
फीजी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी स म्मेलन
दिनांक 16-18 फरवरी , 2018
स्थान – साउथ पैसिफिक विश्ववि द्यालय
हिंदी दुनिया के सबसे ज्यादा बो ली जाने वाली भाषाओं में से एक है। यह भारत के अतिरिक्त विश्व के बहुत से देशों में बोली , पढी और समझी जाती है। आज भारतीय डायसपोरा सौ से ज् यादादेशों में है, जहां किसी ना किसी रूप में हिंदी विद्यमान है । उसी प्रकार बालीवुड, भारतीय नृ त्य और संगीत हिंदी को बहुत से देशों में ले गया है । फीजी के अतिरिक्त आस्ट्रे लिया और न्यूजीलैंड मेंइस भाषा को बोलने –समझने वाले , रेडियो चैनल इस भाषा के प्रचार –प्रसा र में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। प्रशांत देशों में हिंदी के प्रचार – प्रसार में सबसे ज् यादा योगदान गिरमिटियामजदूरों के फीजी में 19 वीं शताब्दी के अंत में आने से हुआ।
गिरिमिटिया मजदूरों के 19 वीं श ताब्दी के अंत में आगमन के साथ ही , फीजी में हिंदी प्रचलित हो गयी। विभिन्न प्रदेशों से आए गि रमिटिया मजदूरों ने संपर्क भाषा के रूप में हिदी को अपनायाजिसे फीजी हिंदी कहा गया। उन्होंने अपनी पंरपरा और संस्कृति का संरक्षण इसी भा षा के माध्यम से किया। रामायण औ र अन्य धार्मिक पुस्तकों के मा ध्यम से उन्होंने अपनी भाषा को जीवंतरखा। धीरे – धीरे उन्होंने स्कूलों की स्थापना की जिससे हिं दी को विधिवत रूप से आगे बढ़ाया जा सके। तबसे हिंदी फीजी के औप चारिक शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । देश में चार रेडियो स्टेशन हैं जो 24 घंटे चलते हैं । एक साप्ताहिक अखबार है ‘ शां तिदूत ‘ है जो कि भारत से बाहर दुनिया का सबसे पुराना चलने वा ला अखबार है । इसकी स्थापना वर् ष 1935 में हुई थी। फीजी मेंतीन विश्वविद्यालयों में स्नातक स् तर पर हिंदी पढ़ाई जाती है और कु छ स्थानों पर स्नातकोतर स्तर पर भी कुछ पाठ्यक्रम शुरू किए गए। फीजी की धरती ने कमला प्रसाद मिश्र, जोंगिदर सिंहकँवल , डॉ सुब्रमणि और वि वेकानंद शर्मा जैसे लेखकों को पल्लवित- पुष्पित किया. जिनकी रचनाशक्ति पर हिंदी को गौरव है। सबसे ज्यादा महत् वपूर्ण है कि फीजी में हिंदी घर ,बाहर , बाजारसब जगह इस्तेमाल की जाती है। हिंदी फीजी में जी वंत भाषा है।
फीजी में लाखो लोगो द्वारा हिं दी बोली और समझी जाती है। रेडि यो स्टेशन हैं , अखबार हैं, स् कूलों और विश्वविद्यालयों में हिं दी है पर उसके बावजूद भी कई का रणों से अबतक फीजी मेंअंतरराष् ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन न हीं हो सका । प्रस्तावित सम्मेलन ऐसा पहला ऐतिहासिक अं तर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन है । इससे पूर्व वर्ष 2016 में भारतीय हाई कमीशन के सहयोग सेफीजी सेवाश्रम संघ द्वारा पि छले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का आयोजन किया गया जि समें 8 देशों के 44 से अधिक वि द्वानों व कलाकारों ने भाग लिया । इसमें निश्चित रूप से भारत से विद्वानों और लेखकों के आने की अपेक्षा तो है ही परंतु सम्मेलन में भा गीदारी की दृष्टि से दो क्षेत् रों पर विशेष महत्व दिया गया है । पहला प्रशांत देश जिसमें आस् ट्रेलिया , न्यूजीलैंड और अन्य प्रशांतद्वीप देश शामिल हैं , दू सरा गिरमिटिया देश जिसमें मारि शस, त्रिनिडा़ड, सूरीनाम, गुया ना शामिल हैं। प्रशांत देशों के साथ फीजी की भौगोलिक साझेदारी है तो गिरमिटिया देशों के साथ सा झाऐतिहासिक संवेदनाएँ। इसके अति रिक्त ब्रिटेन , अमेरिका और अन् य महाद्वीपों के लेखक, विद्वानों का भी इस सम्मेलन मे स्वागत है । इस सम्मेलन में साहित्य , शि क्षा के अतिरिक्त हिंदी मीडियाप र भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
पिछले वर्षों में फीजी में स्थित भारतीय हाई कमीशन द्वारा हिंदी के प्रचार – प्रसार के लि ए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए जि समें युनिवर्सटी ऑफ साउथ पैसिफि क में हिंदी शिक्षण दुबारा शुरू करवाना , अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का आयोजन , विश्व हिं दी
वैश्वीकरण और कैरियर की प्राथमि कता और नई प्रोद्योगिकी के चलते इस दौर में अन्य भाषाओं की त रह हिंदी के सामने भी कई चुनौति यां हैं। विश्वविद्यालयों के घट ते बजट और कैरियर कीप्राथमिकता और चिंता ने युवा पीढ़ी के सा मने कई प्रश्न खडे़ किए हैं। परं तु अच्छी बात यह है कि फीजी की संस्थाएं , सरकारी और गैर–सरका री नेतृत्व इस बारे में सजग है और हिंदी से अगलीपीढ़ी को जो ड़ने में अपनी भूमिका का निर्वा ह कर रहे हैं। इसी दृष्टि से इ स सम्मेलन का थीम ‘ युवा पीढ़ी और हिंदी’ रखा गया है। इसके अति रिक्त अन्य विषयों का चयन करते हुए हिंदी केवैश्विक सरोकार और फीजी व प्रशांत देशों की विशिष् ट पृष्ठभूमि और गिरमिट इतिहास का ध्यान रखा गया है।
सम्मेलन के साथ शानदार सांस्कृ तिक आयोजनों की भी व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त देश –विदेश के क वियों और कवियत्रियों से भरा कवि सम्मेलन का गुलदस्ता भी प्रस् तुत किया जाएगा।
पंजीकरण फार्म के साथ विषय दिए गए हैं। इच्छुक प्रतिभागी अपने विषय संबंधी सारांश अधिक से अधिक 200 शब्दों मे निम्न ई –मेल पर भेज सकते हैं ।internationalhindiconffiji @gmail.com । सारांश भेजने की अं तिम तारीख 22 जनवरी, 2018 है।
Short URL: https://indiandownunder.com.au/?p=10358
Posted by Neena Badhwar
on Jan 24 2018. Filed under Uncategorized.
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