न काहू से दोस्ती न काहू से बैर …संतराम बजाज

एपिसोड 4 (चुनाव स्पेशल)

हमारी कोशिश रही है कि इस शीर्षिक के नाम से इधर उधर की ख़बरों पर या बीत गये कुछ हालात पर टिप्पणी की जाए| हमारा इरादा किसी का मज़ाक उडाना या किसी की बुराई करना बिलकुल नहीं है|

“कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सब की खैर

न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर”

हमारा मकसद तो बस ऐसे ही थोड़ा ह्यूमर अर्थात मनोरंजन है|

आमतौर पर हम भारत की बातें करते हैं, पर ऐसा कोई ‘लॉक डाउन’ भी नहीं है| जहाँ से चटपटी खबर मिलती है, कवर करने की कोशिश करते रहे हैं|

यदि हम मोदी जी के कामों की तारीफ़ करते हैं तो इस का यह मतलब नहीं कि हम राहुल जी या ममता जी की बेइज़्ज़्ती कर रहे हैं और न ही यदि प्रियंका या सिध्धू के हक़ में लिखते हैं तो अमित शाह को चोट पहुंचा रहे हैं|

हमें इस बात का भी आभास है कि इस तरह से तो हम किसी को भी खुश नहीं कर पायेंगे| तो भैया, हम कोई ‘राज कवि’ आदि जैसी चीज़ तो हैं नहीं कि सब के गुण गाते फिरें, या क़सीदे पढ़ते फिरें|

अब बड़े लीडरों के दिल भी बड़े होने चाहियें|

मुझे कुछ कुछ याद आ रहा है कि एक बार मोदी जी से किसी ने पूछा था की आप में इतने इतने घंटे काम करने की ऊर्जा कहाँ से आ जाती है,तो उन्होंने हँसते हँसते कहा था कि उन्हें दिन रात गालियाँ देने वालों के कारण|

आप हमें प्रेशर कुकर की सीटी समझ लीजिये, जो कुकर के अंदर प्रेशर बन रहा की चेतावनी देती है|अब यह आप पर निर्भर है कि आप कितनी सीटी के बाद आंच कम करते हैं|इसलिए हर बात को सीरियसली या पर्सनली न ले कर आराम से बैठ कर (या फिर खड़े भी रह सकते हैं)- एन्जॉय कीजये|

‘सत्यमेव जयते!’

“बजाज भाई, आजकल तो कमाल हो रहा है|” मुत्तुस्वामी ने अन्दर आते ही कहा|

“कैसा कमाल?”

“विधान सभा चुनावों में | भारत के ५ प्रान्तों-पंजाब, उत्तरप्रदेश, गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में |”

“तो इस में कमाल की क्या बात है? हर ५ वर्ष के बाद विधानसभा के चुनाव होते हैं, और सब प्रान्तों में होते हैं, अलग अलग समय पर|”

“ऐसा नहीं है, इस बार पार्टियों ने वोटरों को लुभाने के लिए इतना कुछ फ्री में देने के प्रलोभन दिए कि उनकी बातें सुन सुन कर तो जी करता है कि सब कुछ छोड़ छाड़ कर वहीं जा कर डेरा डाल दें| काम करने की ज़रुरत ही नहीं|”

“क्या मतलब?”

“कोई बिजली फ्री देगा तो कोई गैस के 8 सिलिंडर| फ्री राशन और किसानों के सब क़र्ज़े माफ़| औरतों को १००० से ४०००रु महीने के, स्कूल-कॉलेज की लड़कियों को स्कूटी और लैपटॉप| कई लीडर नए मंदिर, और कुछ शमशान घाट और क़बिरिस्तान बनवाने की बातें कर रहे थे|”

“वाकई, कमाल है| स्कूल, अस्पताल शायद पहले ही बहुत हैं, इसलिए उन का कोई जिक्र नहीं, और न ही कोई नौकरी दिलाने की बातें करते हैं| चलो छोड़ो, ‘फ्रीबीज़’ की बातें, कोई भी जीते, चुनाव के बाद किसी को याद रहेंगी क्या? उन की शक्ल तक देखने को लोग तरस जाते हैं| यह कोई नई बात नहीं है,हर बार ऐसे ही होता है| और लोग भी क्या करें क्योंकि सब पार्टियों का यही हाल है|”

“इस बार पंजाब और उत्तरप्रदेश के चुनावों में बहुत ड्रामा चला | उत्तरप्रदेश में भाजपा और समाजवादी पार्टी में कांटे की टक्कर है जबकि पंजाब में कोंग्रेस के मुकाबले में ‘आम आदमी’ पार्टी एक बड़ा भारी चैलेंज, हालांकि अकालियों ने भी पूरा जोर लगा दिया|” मुत्तुस्वामी बड़े जोश में था, “केजरीवाल ने पंजाब को दिल्ली का मॉडल देने का भरोसा दिया|” 

“जीतेंगे तो तभी ना?”

“जीत तो पक्की है”, ऐसा केजरीवाल कहते हैं| यह तो दर्शन सिंह ही बता सकता है| वह अभी अभी पंजाब से हो कर आया है, ताज़ा ख़बरें लेकर|”

“ताज़ा कहाँ रहती हैं, आजकल तो टीवी वाले पल भर में हर जगह पहुंचा देते हैं,” दर्शन सिंह बोला|

“अरे, उन की बात मत करो; इतना बोलते हैं बल्कि लड़ाई ही करते रहते हैं और परेशान कर देते हैं| सब के अपने अपने ‘अजेंडे’ होते हैं| कोई निरपेक्षता से रिपोर्टिंग नहीं करता| तुम तो वहां लोगों से मिले होगे तो ‘ग्राउंड रियलिटी’ क्या है?”

“पंजाब की सिसायत इस बार ‘खिचडी’ की तरह है,” दर्शन सिंह कहने लगा|”

वैसे मुझे बड़ा मज़ा आया यह देख कर कि एक पार्टी के नेता लोग गाय-सेवा कर रहे थे, ’दूसरी के  कट्टे (भैस का बछडा) दान कर रहे थे, तीसरी के धर्म-स्थानों पर जा कर मथ्था टेक रहे थे या फिर धार्मिक डेरों के चक्कर लगा रहे थे – जैसे राधा स्वामी ब्यास डेरा और बाबा राम रहीम का डेरा ’सच्चा सौदा’ सिरसा| पंजाब में इन डेरों का बहुत बड़ा प्रभाव है और बहुत से डेरा-प्रेमी अपने गुरू के आदेशनुसार ही वोट डालते हैं|

“जीतेगा कौन?”

“हवा तो ‘आम आदमी पार्टी’ की बहुत है, हाँ! थोड़ा बहुत उस के CM चेहरे भगवंत मान पर विरोधी उंगली ज़रूर उठा रहे हैं, परन्तु पंजाब में ‘पीना’ कोई disqualification(अयोग्यता) नहीं समझी जाती बल्कि ‘खाता पीता बन्दा है’, ऐसा समझा जाता है| दूसरे, आख़िरी दिन, केजरीवाल पर उसी के एक पुराने साथी कुमार विशवास ने ‘खालिस्तानियों’ के साथ सम्बन्ध रखने का आरोप लगा दिया| अब थोड़ा बहुत ‘कीचड’ तो चिपकेगा ही|

कांग्रेस के अंदरूनी झगड़ों के कारण जनता कुछ उन से खीज सी गयी है| कई तरह की लूट मचाने वाले ‘माफिया’ – जैसे ड्रग माफिया,  रेत-माफिया, केबल-माफिया उन के राज में चल रहे थे|

रही बात अकाली दल की, तो ऐसा लग रहा है कि वे भी पहले से अच्छा परफॉर्म करेंगे|

भाजपा, कुछ दिन पहले जिन के कार्यकर्ताओं को लोग गाँवों में घुसने नहीं देते थे, अब इस स्थिति में है कि शायद गठ-जोड़ की सरकार में शामिल हो सके क्योंकि पंजाब में इस बार ‘मिली जुली सरकार’ बनने जा रही है|”

“किस किस की?”

“कहना बहुत मुश्किल है| आप और कांग्रेस, नम्बर एक और दो पर आती नज़र आ रही हैं| इन्ही में से एक ‘अकाली दल के साथ गठजोड़ करेगा, ऐसा जान पड़ता है|”  

“अकाली दल से क्यों?”

“क्योंकि भाजपा के पास इतनी सीटें नहीं होंगी और कांग्रेस को दिल्ली में ‘आप’ ने पहले ही उल्लू बनाया था| हालांकि केजरीवाल पंजाब में सरकार बनाने के लिए कुछ भी कर सकता है|”

“क्या भाजपा और अकाली दल,फिर से एक हो सकते हैं?”

“हां, यह भी हो सकता है| इस बार पंजाब के चुनाव वास्तव में बड़े रोचक बन गये हैं| सौदेबाजी शुरू हो चुकी है|”

“अच्छा, सिध्दू और कैप्टन साहिब का क्या हाल है?”       

“दोनों ही दुखी आत्माएं हैं| पिछले एपिसोड में हम ने इस पर काफी बात की थी | यह तो आप जानते ही हैं कि कांग्रेस पार्टी में क्या सर्कस होती रही है| सिध्दू ने जिस तरीक़े से कैप्टन की छुट्टी कराई, परन्तु सिध्दू बुरी तरह से अपने ही बनाए चक्रव्यू में फंस चुका है| पहले वह कैप्टन से दुखी था अब वह चरनजीत सिंह चन्नी से| चन्नी, जिसे ‘नाईट वाचमैन’ के तौर पे रखा था,अब वह ‘क्रीज़’ नहीं छोड़ रहा है और गांधी परिवार को भी वह भा गया है क्योंकि वह ‘ईंट से ईंट बजाने’ की धमकी नहीं दे रहा और उस के पास ३०% दलित वोटों का स्टॉक है| इसलिए राहुल और प्रियंका ने मीठी छुरी से सिध्दू को किनारे लगा दिया है| ठोको ताली!”

“और केप्टन साहिब?”

“कैप्टन साहिब के साथ जो हुआ, उसकी तो वह सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते थे|राहुल और प्रियंका, जिन्हें उन्होंने गोद में खिलाया, वे उन को इस तरह से अपमानित करेंगें, इस से वह टूट से गये हैं| उन का साथ क़रीब क़रीब सभी छोड़ गये और उन की नई पार्टी ‘पंजाब लोक कोंग्रीस’ बस नाम मात्र ही रह गयी है और भाजपा के साथ मजबूरी में हाथ मिला कर अपनी सीट को बचाने की कोशिश कर रहे हैं|”

“बहुत हो चुकीं पंजाब की बातें, अब उत्तर प्रदेश की भी कुछ बातें हो जाएँ |” मैं ने सजेस्ट  किया, “यहाँ तो सीधी टक्कर दो ही पार्टियों में है – भाजपा और सपा – एक पार्टी बहुमत से जीतेगी, कौनसी – कह नहीं सकते, धर्म और जाति के नाम पर बटे हुए हैं लोग|”

‘डबल इंजन की सरकार’ का नारा दिखाता है कि मुख्यमंत्री योगी, मोदी और दूसरे भाजपा महारथियों के बिना शायद अखिलेश को पिछाड़ नहीं पायेंगे|”|

“लेकिन आप यह बात भूल गये है कि अखिलेश यादव के कुछ महारथी और बाहुबली साथी  जेलों में हैं,” मुत्तुस्वामी ने टोका, “यह तो मानना पड़ेगा कि उन के बिना भी अखिलेश का पलड़ा भारी लग रहा है| वह अकेला और भाजपा में दर्जनों, हिम्मत इसे कहते हैं|”

“लेकिन आम लोगों में उन बाहुबलियों के नाम की कुछ दहशत ऐसी है कि वे डरे डरे लगते हैं और सामने कुछ कहने को तैयार नहीं है| मजेदार बात यह है कि इन बाहुबलियों को ऐसी बुरी पब्लिसिटी पर खुशी है क्योंकि इस से आम लोगों में उन का दबदबा बना रहता है|”

“ऐसा लगता है आम लोग सेफ्टी इशु को लेकर,और‘लॉ एंड आर्डर’यानी क़ानून व्यवस्था की  बेहतरी से कुछ सुख की सांस ले रहे हैं, इसलिए वोट डालते समय वे योगी का साथ ही दे रहे हैं,” दर्शन सिंह की राये थी|

“परन्तु दूसरी ओर ‘बुलडोज़र बाबा’ ने ‘अब्बा जान’ का राग अलाप अलाप कर मुस्लिम वोट सीधे अखिलेश की झोली में डाल दिए हैं|” मुत्तुस्वामी ने तर्क दिया|

“आप ‘उवेसी’ को भूल रहे हैं, मुस्लिम वोट पर उस की भी दावेदारी है,” मैं ने याद दिलाया |

“कुछ नहीं कर पायेगा, उवेसी| उसे दिया हुआ वोट बेकार हो जाएगा, ऐसा सपा वालों का कहना है| वे लोग उसे भाजपा की B-टीम कहते हैं,” मुत्तुस्वामी ने बात जारी रखी, “और वही हाल बहन मायावती का है|”  

“और वह ‘लड़की हूँ लड़ सकती हूँ’ वाली शेरनी प्रियंका गांधी वाड्रा’ का क्या हाल है?” दर्शन सिंह ने याद दिलाया| “अकेली ही सब जगह लड़ती हुई दिखती है| मुझे तो उस में उसकी दादी इन्द्रा गांधी की झलक दिखाई देती है| मेरी बात नोट कर लो, आगे चल कर यह कोई बड़ा काम करेगी|”

“ओके, कर लिया नोट,” मुत्तुस्वामी बड़े ड्रामाई अंदाज़ में बोला, “हाँ, पर उस की मेहनत बेकार हैं क्योंकि कांग्रेस को जो वोट मिलेगा, उस से अखिलेश को ही नुक्सान होगा और भाजपा को फायदा|”

“वह तो मार्च 10 ही बताएगा| हम क्यों अपना टाइम खोटी कर रहे हैं| चलो कुछ चाय पानी हो जाए|” कह, दर्शन सिंह किचन की ओर बढ़ा|

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