हवेली राम और आज़ादी के ७५ वर्ष…      संतराम बजाज 

हवेली राम पिछले तीन चार दिन से बड़ी ही विचिलित  हालत में फिर रहा था| उस के परिवार वाले भी थोड़ा परेशान होने लगे थे| वह टीवी के सामने कुछ जयादा ही बैठने लगा था और खबरों को ही सुनने में लगा रहता था| अपनी पुरानी पुस्तकों और मैग्जीन्ज़ में से भी कुछ न कुछ ढूंढता रहता था|

“दादू, आप ठीक तो हैं ?”, आखिर उस के छोटे पोते बिन्नी ने पूछ ही लिया|

“हाँ, हाँ, मुझे क्या हुआ है? तुम ऐसे क्यों पूछ रहे हो?” हवेली राम बोल उठा|

“आप कई दिनों से कुछ परेशान से लगते हैं|”

“अरे नहीं पगले! मैं तुम्हें बताना भूल गया कि 15 अगस्त आने वाला है|”

“वह तो हर साल आता है, मुझे मालूम है, और यह भी मालूम है कि उस दिन हमारा देश अँगरेज़ लोगों से आज़ाद हुआ था| उस दिन लाल किले पर भारत के प्रधान मंत्री झंडा लहराते हैं, परन्तु इस वर्ष ख़ास बात यह है कि सरकार ‘हर घर में तिरंगा’ लहराने की बात कर रही है| आज़ादी के ७५ वर्ष पूरे हो रहे हैं|”

“वाह बेटे, तुम तो भारत की आज़ादी के बारे में बहुत कुछ जानते हो|”

“आप से ज़्यादा नहीं दादू| आप ने तो यह सब कुछ अपनी आँखों से देखा है |”

“हाँ, ठीक कहते हो| मैं तुम्हारी ही उम्र का था १९४७ में | आज़ादी क्या होती है, उसकी हमें कुछ समझ नहीं होती थी| महात्मा गांधी का नाम जरूर सुना हुआ था| कुछ दुसरे नाम जैसे शहीद भगत सिंह, लाला लाजपत राय, चंद्रशेखर आज़ाद और जवाहर लाल नेहरू, नेता जी और पटेल|

“एक चवानी चांदी की, जय बोलो महात्मा गांधी की” या फिर, ”एक चवानी चाँदी की, सारी दुनिया गांधी की”,

के नारे लगाते थे लोग|”

उन दिनों विश्व महायुध्द भी चल रहा था| हम बच्चे स्कूलों में, एक दूसरी ही तरह के नारे भी लगाते थे|

“या इल्लाही, कर तबाही जर्मन और जापान की,

बच्चा बच्चा माँगता है, फतह हो इंग्ल्स्तान की|”

‘इंग्ल्स्तान’ अर्थात ब्रिटेन की विजय के नारे, क्योंकि हिट्लर और जापान सारी दुनिया को अपने अधीन करना चाहते थेI

जब महायुद्ध समाप्त हुआ तो हिंदुस्तानियों ने आज़ादी की माँग और तेज कर दी क्योंकि ब्रिटेन सरकार ने कुछ ऐसा वादा किया थाI

पहले जून 1948 का दिन चुना गया परंतु बाद में 15 अगस्त 1947 को ही सब छोड़ जाने की बात पक्की हो गईI

लेकिन इस जल्दबाज़ी में उन्होंने कुछ भी नहीं सोचा कि यह विभाजन शांतिपूर्वक कैसे होगाI शायद वे भी नहीं सोच सके कि नतीजा इतना भयानक हो सकता है|

15 तारीख़ से पहले ही दंगे और फ़साद शुरू हो गए और भगदड़ मच गईI मारकाट ऐसी कि पड़ोसी, पड़ोसी का दुश्मन हो गया I गाँव के गाँव ख़ाली होने लगे I दंगई घरों को आग लगाने लगे I पुलिसकर्मी भी उन के आगे कुछ नहीं कर सकते थे बल्कि कई तो उनकी ही सहायता कर रहे थे I

लाखों करोड़ों लोग घरों से बेघर हो गए और बड़ी मुश्किल से लोग जान बचा कर बॉर्डर के दूसरी पार पहुँचे I लाखों लोग मौत के घाट उतार दिए गएI ऐसी आज़ादी की किसी ने कल्पना तक नहीं की थीI पाकिस्तान में क़रीब  क़रीब कोई हिंदू और सिख नहीं रहाI हिंदुस्तान के पूर्वी पंजाब के सारे मुसलमानों को निकाल दिया गयाI  दिल्ली और यूपी से भी काफ़ी तादाद मे लोग निकल गए परंतु भारतीय सरकार ने स्तिथि पर जल्द क़ाबू पा लिया, और निकास बंद हो गयाI

बहुत दुःख भरी कहानियाँ हैंI सुनने सुनाने की हिम्मत जवाब दे चुकी है

पाकिस्तान से आए रिफ़्यूज़ियों के लिए कई शहरों में कैंप बनाए गए जहां टेंटों में परिवारों को रखाI मेरा परिवार भी एक ऐसे ही टेंट में सिर छिपाने के लिए मजबूर थाI

पाकिस्तानी पंजाब से आए किसानों को भारत के इस पंजाब में ज़मीनें और घर अलॉट कर दिए गएI दूसरे परिवारों को भी सरकार ने बसाने की कोशिश करनी शुरू कर दी, पर यह काम कोई आसान नहीं था I परिवार टूट चुके थे, बच्चे यतीम हो चुके थे — शरणार्थी कहलाने वाले लोग अपने अपने घरों से ज़बर्दस्ती निकाले गए थे, उन का सब कुछ लूट लिया गया था, लेकिन उन्होंने अपना आत्मसम्मान नहीं खोया, वे किसी के आगे हाथ  नहीं फैलाना चाहते थे, वे काम कर के अपना और अपने बच्चों का पेट पालना चाहते थे, इसी लिए उन्होंने मेहनत की और अपने पाँवों पर खड़े हूएI

समय बड़ा बलवान है अब वे लोग भारतीय समाज का एक हिस्सा बन चुके हैंI

भारत ने कितने ही उतराव चढ़ाव देखे हैं पिछले 75 वर्षों मेंI

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सूझ बूझ से, उनके काल में, देश में कई इंडस्ट्रीज़, IIT कॉलेज स्थापित किये गए और पंच-वर्षीय योजनाओं के द्वारा बड़े बड़े डैम तथा नहरे बनवा कर किसानो को सक्षम बनाने में न सिर्फ मदद की बल्कि देश को अपने पैरो पर खड़ा होने का मौका मिला।   

1962 में पड़ोसी देश चीन ने मित्र बन कर पीठ में छुरा घोंपा और हमारे इलाक़े को अपना बता क़ब्ज़ा कर लियाI

परन्तु लाल बहादुर शास्त्री और इंद्रा गांधी ने सब बदल दिया| एक समय था भारत को गंदम (wheat) ऑस्ट्रेलिया और दुसरे देशों से निर्यात करनी पड़ती थी| | अब हिन्दुस्तान दुसरे देशों को अनाज और दालें सप्लाई करता है|

नेहरू के बाद उन की बेटी इंद्रा गांधी ने और फिर उनके दोहते राजीव गांधी ने कई वर्षों तक भारत पर प्रधान मंत्री का पद सम्भाला और फिर उन की पार्टी कोंग्रेस्स के कई दूसरे प्रधान मंत्री भी रहे जिन में मनमोहन सिंह 10 वर्ष तक थे|कुल मिला कर ५४ वर्ष कांग्रेस का शासन रहा|

आजकल भाजपा का शासन है, नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री| इस से पहले इसी पार्टी के अटल बिहारी वाजपयी १९९९ से वर्ष सत्ता में रहे थे|      

भारत और पाकिस्तान के १९४७ में हुए बटवारे के समय से ही दोनों  के बीच कई मुद्दो पर तनातनी चल रही थी हालांकि जम्मू और कश्मीर का मुद्दा इसमे सबसे बड़ा थाI  1947, 1965, 1971 – जब भारत की मदद से बंगलादेश बना और फिर कारगिल की लड़ाई 1999 में| दोनों देशों में अभी भी युध्द की स्थिति बनी हुई है|

भारत नयूक्लियर सक्षम बना अटल बिहारी जी के काल में जब राजस्थान के पोखरन के रेगिस्तान पर अब्दुल कलम आज़ाद के नेतृत्व में एटम बंब टेस्ट किये गए। भले ही कुछ समय के लिए अमेरिका और दुसरे पश्चिमी देशों ने इस का विरोध किया| देश में अटामिक प्लांट लगाए गए, जिन के कारण भारतीय आज दूसरे देशों में जा कर अपना योगदान दे रहे हैंI यही अब्बुल कलाम बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने|     

आजकल भाजपा का शासन है, नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री| इस से पहले इसी पार्टी के अटल बिहारी वाजपयी १९९९ से वर्ष सत्ता में रहे थे|

आज भारत का नाम सशक्त देशों में आता हैI परमाणु शक्ति, अन्तरिक्ष में सफल अभियान, आर्थिक क्षेत्र में बढ़त के कारण अब अमेरिका और दुसरे देश भारत का साथ चाहते हैं|

अभी औस्ट्रेलिया और चीन के बीच व्यापारिक झगड़े में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से काफी ट्रेड बढ़ा लिया है, जिस से ऑस्ट्रेलिया को बड़ी राहत मिली है| भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया Quad4 के सदस्य हैं, जो चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बनाया गया है|

भारत दूसरे देशों को सहायता दे रहा हैI अभी Covid-19 के समय हमारे देश ने  कितने देशों को टीके दिए | श्री  लंका और अफ़ग़ानिस्तान में आए संकट में उन की खाद्य पदार्थों और दूसरी तरह की सहायता की, ये सब जान कर बड़ा ही गर्व महसूस होता हैI भारत आज दुनिया भर में इंटरनेशनल योगा डे साल की हर २१ जून को मना कर करीब १७५ स्टेट्स का समर्थन न सिर्फ पा रहा है बल्कि दुनिया भर के लोग योग से लाभ उठा रहे हैं।

अभी हाल ही में भारतीय खिलाड़ियों ने इंग्लैंड के बिर्मिंघम शहर में कामनवेल्थ गेम्स में दुनिया में चौथा स्थान हासिल कर के २२ स्वर्ण पदक, १६ चांदी पदक तथा २३ कांस्य पदक जितवा कर देश का नाम गर्वित किया। अभी हाल ही में भारतीय खिलाड़ियों ने इंग्लैंड के बिर्मिंघम शहर में कामनवेल्थ गेम्स में दुनिया में चौथा स्थान हासिल कर के २२ स्वर्ण पदक, १६ चांदी पदक तथा २३ कांस्य पदक जितवा कर देश का नाम गर्वित किया।

“अच्छा दादू, एक बात बताइये, यदि भारत का बटवारा न होता तो, आप वहीं अपने गाँव में दुकानदारी कर रहे होते ना! ऑस्ट्रेलिया तो नहीं आ पाते |”

“हाँ बेटे! यह बात तो ठीक है| होनी बड़ी बलवान है, कुछ पता नहीं कल क्या हो|”, हवेली राम मुस्करा दिए|

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