‘नसबंदी’ और ‘नशाबंदी’:  दो समाचार दिल्ली शहर से…

संतराम बजाज

काफी दिनों से मैं ने समाचार पत्र पढ़ने बंद कर रखे थे क्योंकि फजूल की बातें लिखकर समय बरबाद करते रहते हैं|

शायद यह मेरी बेवकूफी थी|

कल कुछ और काम न होने के कारण एक समाचार पत्र खोल ही डाला| अरे, वाह! क्या रोचक समाचार थे| कुछ एक को पढ़ कर तो आत्मा प्रसन्न हो गई|

दो ख़बरें आप के साथ सांझा करता हूँ| दोनों दिल्ली शहर की हैं और मेरा दिल्ली से पुराना और ख़ास रिश्ता है,सो पढ़ने में बड़ा आनंद मिला|

पहली यह कि दिल्ली में यह कौन संजय गांधी दुबारा पैदा हो गया जिस ने नसबंदी का आईडिया फिर से शुरू किया है| चौंकिए मत, यह भाई भारत की आबादी कम करने की कोशिश में नहीं हैं और न ही इंसानों की बात हो रही है| यह आवारा कुत्तों की नसबंदी के चक्कर में हैं| समस्या काफ़ी गंभीर है क्योंकि आवारा कुत्ते बिना लाइसेंस गली मुहल्लों में बेबाक घूमते हैं, लड़ाई झगड़े करते हैं, ज़ोर ज़ोर से भौंकते है और लोगों को काटते हैं| मिसाल के तौर पर पिछले वर्ष, दिल्ली के 31913 लोग (अर्थात् लगभग 90 प्रति दिन) इन के दांतों और पंजों का शिकार हुए| इन आंकड़ों में वे लोग शामिल नहीं हैं जो जान बचा कर भाग निकले या घर में हल्दी लगा पट्टी बाँध कर रह गये|

दिल्ली कारपोरेशन के अनुसार ‘ऑपरेशन आवारा’ चलाया जाएगा और कुत्तों की पकड़ धकड़ में बड़ी तेज़ी से काम शुरू हो जाएगा| समस्याएँ कई हैं, चुनौतियाँ बहुत हैं| कुत्तों की गिनती, उन को पकड़ना, नसबंदी के पश्चात वापसी| कोशिश होगी कि उन्हें वापिस उसी मुहल्ले में ही भेजा जाए ताकि उन की मानसिक स्तिथि ठीक रहे| पूरा रिकार्ड रखना होगा| इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि ‘पशु संरक्षण’ (Animal protection) के कानून के अंतर्गत उन पर कोई आपत्ति तो नहीं आयेगी, क्योंकि काम कुत्तों की मर्जी के विरुध्द हो रहा है| हर गली मुहल्ले में बहुत से लोग उन से सहानुभूति भी रखते हैं, उन को खाना आदि भी देते हैं| भले ही वे आवारा गिने जाते हैं परन्तु परिवारों से घुले मिले होते हैं और रात को चोरों से भी सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होते हैं।कुत्ते चुप चाप जाने वाले भी नहीं हैं|

यदि उन्होंने एकजुट हो कर धावा बोल दिया तो दिल्ली की सारी पुलिस फ़ोर्स भी उन का मुकाबला नहीं कर पायेगी|

एक रास्ता है, जो हमारी दूसरी खबर से जुड़ा हुआ है|

पहले वह सुन लीजिये|

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल अपनी कैबिनेट के साथ, राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर पहुँच कर कुछ प्रार्थना कर रहे थे| अब इस में कोई बुराई नहीं, राजघाट पर जाने की सब को आज़ादी है|

वे वहां पर भाजपा के ‘ऑपरेशन कमल’ को फेल करने की कामना में गांधी जी का आशीर्वाद लेने गये थे, क्योंकि भाजपा वाले ‘आप’ की दिल्ली में चल रही ‘शराब पालिसी’, जिसे वह ‘शराब घोटाला’ कहते हैं, के विरुध्द बहुत वावेला मचा रहे हैं|

अब देखा जाए तो यह भी कोई नई बात नहीं है| सियासत में ऐसा होता ही रहता है|

लेकिन इस खबर का दूसरा भाग पढ़ कर मैं गदगद हो गया| वह यह कि केजरीवाल और उन के साथियों के वहां से हटने के बाद भाजपा के युवा मोर्चा ने राज घाट पर गंगा जल छिड़कना शुरू कर दिया|

भला क्यों भई?

उन के विचार में केजरीवाल दिल्ली में शराब का धंधा और उस में घोटाला कर रहे हैं| केजरीवाल जब अन्ना हजारे के साथ धरनों पर बैठते थे तो देश में ‘नशाबंदी’ की बातें करते थे|

केजरीवाल ने गांधी जी की समाधि पर आकर उन का अपमान किया है क्योंकि महात्मा गांधी शराब को बिलकुल पसंद नहीं करते थे|

पवित्र स्थान को अपवित्र कर दिया, इसलिए गंगा जल का छिड़काव आवश्यक था|

अब फिर चलते हैं आवारा कुत्तों की ‘नसबंदी’ की ओरI

सुना है कि कुत्तों ने भी राजघाट जाकर प्रार्थना करने का प्रोग्राम बनाया था, परन्तु दिल्ली पुलिस ने उन्हें इस की आज्ञा नहीं दीI उन का कहना था कि, “तुम पर भरोसा नहीं किया जा सकता, तुम भौंक भौंक कर राजघाट की शांति भंग कर दोगे और यदि ग़ुस्सा आया तो लोगों को काट लोगे और सब से बुरी बात, तुम कहीं भी, जब मूड आया वहीं रुक कर ‘छिड़काव’ शुरू कर देते हो और सारे वातावरण को दूषित कर देते होI”

कुत्ते बहुत दुखी हैं, उन्हें आवारा और झगड़ालू कहा जाता है| इंसान आपस में नहीं लड़ते क्या? राजघाट पर आने का कारण यह लड़ाई ही तो है| और तो और,वे तो धर्म के नाम पर एक दूसरे का खून तक कर देते हैं|

कुत्तों के लिए यह ‘नसबंदी’, उन के अस्तित्व पर भयंकर ख़तरे की घंटी है|

यह सरासर बेइंसाफ़ी है क्योंकि ‘नशाबंदी’ से केजरीवाल सरकार की तो कुछ इनकम पर ही असर पड़ेगा जबकि कुत्ते बेचारों की तो नस्ल ही समाप्त हो जायेगी|     

अब केवल सुप्रीम कोर्ट ही उन का अंतिम सहारा हैI

Short URL: https://indiandownunder.com.au/?p=18379