“न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर”…संतराम बजाज
अस्वीकरण:(Disclaimer): इस शीर्षिक के अंतर्गत , इधर उधर की ख़बरों पर या बीत गये कुछ हालात पर टिप्पणी है | हमारा इरादा किसी का मज़ाक उड़ाना या किसी की बुराई करना बिलकुल नहीं है, हमारा मकसद तो बस ऐसे ही थोड़ा ह्यूमर अर्थात मनोरंजन है| हर बात को सीरियसली या पर्सनली न ले कर आराम से बैठ कर (या फिर खड़े भी रह सकते हैं)- एन्जॉय कीजये|)
“कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सब की खैर
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर”
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एपिसोड -5
“अरे दर्शन सिंह! ये 8 चीतों की क्या कहानी है, जो अफ्रीकी देश नामीबिया से लाये गये हैं?” मैं ने सवाल किया|
“कहानी कुछ नहीं, हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी की ओर से देशवासियों के लिए एक उपहार है,” दर्शन सिंह बोला|
“किस ख़ुशी में?” मैंने ज़रा शरारती लहजे में पूछा।
“कमाल है, आप को पता नहीं कि 17 सितम्बर को उन का 72वां जन्मदिन था।”
“तो, देशवासियों की ओर से मोदी जी को उपहार मिलना चाहिए था। यह उल्टी गंगा क्यों? और फिर चीते?”
“बात वास्तव में यह है कि देश में 60-70 वर्षों से चीतों की नस्ल विलुप्त घोषित कर दी गई थी, जबकि तेंदवे (Leopard), बाघ (शेर) और बब्बर शेर (Lion) के होते हुए चीते का न होना एक कमी महसूस की जाती थी, जो अब मोदी जी ने पूरी कर दी है। उन्हों ने तो इसे एक ऐतिहासिक दिन बताया है और दशकों बाद चीते हमारी धरती पर वापस आने के लिए सभी भारतीयों को बधाई दी है|”
“परन्तु कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया ही कि ये सब देश का ध्यान अहम राष्ट्रीय मुद्दों और भारत जोड़ो यात्रा से भटकाने के लिए किया जा रहा है,” मैं ने कहा|
“वैसे भी मोदी जी को फीते काटने का बहुत शौक़ है – हफ्ते में एक आध उद्घाटन तो कर ही डालते हैं| उन्हें ‘उद्घाटन मंत्री कहें तो ठीक रहेगा,” मुत्तुस्वामी पूरे मूड में था|
दर्शन सिंह ने स्वामी के इस व्यंग को अनसुना करते अपनी बात जारी रखी |
“और दूसरी बात उल्टी गंगा की, तो देश में आजकल बहुत सी उल्टी गांगाएँ बह रही हैं।”
“जैसे?”
“जैसे, राहुल गांधी कोंग्रस की ओर से ‘भारत जोड़ो यात्रा’, ‘कन्याकुमारी से कश्मीर’ की कर रहे हैं।”
“इस में क्या उलटा है? इस से पहले भी कई यात्राएं निकल चुकी हैं| राहुल के पिता राजीव गाँधी ने भी तो निकाली थी| लाल कृषण अडवानी की वह १९९० वाली, ‘सोमनाथ से अयोध्या’ तक – तो खूब मशहूर हुई थी जिस में लालू प्रशाद यादव ने बिहार में उन्हें पकड़ जेल में डाल दिया था|
मैं तो कहूँगा कि यह बड़ी हिम्मत का काम है, राहुल में मुझे तो इन्द्रा गांधी का जोश दिखाई पड़ रहा है| बहाव के विरुध्द नदी पार करना, कोई आसान काम नहीं है| दक्षिण भारत के लोग उन के साथ रहे हैं, इसलिए उस ने ठीक ही स्थान से यात्रा का आरंभ किया है|”
“हाँ भई! डूबते को तिनके का सहारा। सब को पता है कि उत्तर में उनकी हालत काफ़ी चिंताजनक हो रही है। पंजाब में जो हाल उन का हुआ, अभी तक संभल नहीं पाये। शायद इसीलिये भी वह कश्मीर से शुरू नहीं करना चाहते थे, क्योंकि उधर से कोई साथ ही न चला तो बड़ी बेइज़्ज़ती हो जाती,” दर्शन सिंह बोला|
“हाँ, मैं भी तुम्हारी इस बात से कुछ कुछ सहमत हूँ। परंतु पंजाब में जो कुछ भी हुआ, उसकी तो किसी को भी उम्मीद नहीं थी। वहाँ राहुल और सोनिया ज़रूर बहुत बड़ी गलती कर गए। नवजोत सिंह सिध्दू पर कुछ ज़्यादा ही भरोसे के चक्कर में अपने मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपमानित किया और जनता का विश्वास खो दिया, अब पंजाब में तो कांग्रेस का सफाया हो चुका है|”
“कैप्टन ने तो अपना बुढापा आराम से गुजारने के लिए भाजपा की शरण ले ली है| कहीं के गवर्नर बना दिए जायेंगे- और सिध्दू जी बेचारे एक पुराने केस में पटियाला की जेल में दिन काट रहे हैं,” मुत्तुस्वामी को अचानक सिध्दू पर तरस आ गया|
“इसीलिये मैं ने कहा ना कि यह ‘भारत जोड़ो यात्रा’ उल्टी गंगा की तरह है, राहुल को पहले ‘कोंग्रेस जोड़ो यात्रा’ करनी चाहिए थी| और अब राजस्थान में उनके चहीते अशोक गेलोत ने कांग्रेस आलाकमान को आँखें दिखा दी हैं| अब सारा ध्यान यात्रा से हटकर कांग्रेस प्रधान के चुनाव पर हो गया है| इसे कहते हैं, अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना|”
“पर देखना, राहुल की यह पदयात्रा ज़रूर रंग लाएगी, क्योंकि यह यात्रा मामूली यात्रा नहीं है। पूरे 150 दिन की,12 प्रदेशों से होते हुए 3570 किलोमीटर की है। बहुत सारे लोगों से आमने सामने मिलेंगे, विचार विमर्श होगा और कोंग्रेस का पक्ष रखेंगे। कांग्रेस की बूढ़ी हड्डियों में फिर से जवानी आयेगी| महात्मा गांधी भी तो ऐसी यात्राओं से अपना संदेश-देश की आज़ादी- जनता तक पहुँचाते थे|”
पर यह कौनसा बड़ा सन्देश देंगे?”
“सन्देश बिलकुल साफ़ है, देश में सामाजिक ताना-बाना कैसे मजबूत हो, भाजपा की ओर से जाति एवं धर्म के नाम पर चल रहे ध्रुवीकरण को कैसे मिटाएं, नफरत को छोड़ आपस में प्यार बढायें, नौजवानों को भाषण की बजाये काम दे सरकार|”
“गांधी जी की बात लोग सुनते थे क्योंकि वे लोगों के बीच उन की तरह रहते थे, धोती लंगोट में घुमते थे, ना कि 4100 रूपये की शर्ट पहनते थे और गाँव में भी अपना एर-कंडीशंड बेडरूम को साथ लेकर चलते थे|”
“अरे वाह! क्या गुनाह कर दिया है? वह लम्बी, ५ महीनों की यात्रा पे निकला है, कोई शहादत के लिए तो नहीं, या फिर अखिलेश यादव की तरह ‘घर से विधान सभा’ की यात्रा तक तो नहीं,” मुतुस्वामी भी जोश में आ गया|
“और ये भाजपा वाले क्या कम कीमती लिबास पहनते हैं| मोदी जी और अमित शाह को देख लो, क्या नये नए फैशनदार सूट, जैकट और मफलर पहनते हैं| मैं तो कहूँगा कि बाजपा वाले बहुत घबरा गये हैं, इसलिए वे फजूल की आलोचना करते रहते हैं| उन्हें राहुल की शर्ट तो दिखाई दे गयी परन्तु वे सैंकड़ों, हज़ारों लोग दिखाई नहीं दिए जो राहुल के साथ साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं|”
“सुना तो मैं ने भी है कि भाजपा की नींद हराम हो गई है इस यात्रा से,” दर्शन सिंह को चिडाने के लिए मैं भी बोल पड़ा|
“कहाँ से सुना है? पहले वह ‘कांग्रेस तो जोड़ लें, फिर भारत जोड़ने की बात सोचें|” दर्शन सिंह ने उत्तेजित स्वर में प्रश्न किया|
“दोनों बातें साथ साथ शुरू हो रही हैं| कांग्रेस जोड़ने के लिए नया अध्यक्ष बना रहे हैं और राहुल स्वयं मोदी जी से निपटने का काम करेंगे| 2024 कोई दूर नहीं है|”
“अच्छा! तो मोदी जी से पंगा लेने की सोच ली है| वैसे तो वह लोकसभा में कई बार कोशिश कर चुके हैं – आँख मारना और जप्फी डालना, क्या बचपना है?”
“पंगे की बात नहीं है, वह जनता के बीच जाकर ,लोगों के सामने भारत की समस्याओं की बात करेंगे, जो ‘गोदी मीडिया’ उन तक पहुँचने नहीं देता| मेरी बात नोट कर लो, राहुल गांधी २०२४ में न सही, उसके बाद अवश्य प्रधान मंत्री बनेगा|”
“चलो नोट कर लेते है भई! पर हम क्यों अपना सिर खपा रहे हैं इस फजूल की बहस में|” मैं ने उसे शांत करने के लिय कहा, “यह सब शोबाज़ी और ड्रामा बाज़ी, पॉलिटिक्स में चलता है, करना पड़ता है मेरे भाई!”
“चलो, डोसा खाने चलते हैं|”
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