अस्वीकरण:(Disclaimer): इस शीर्षिक के अंतर्गत , इधर उधर की ख़बरों पर या बीत गये कुछ हालात पर टिप्पणी है | हमारा इरादा किसी का मज़ाक उड़ाना या किसी की बुराई करना बिलकुल नहीं है, हमारा मकसद तो बस ऐसे ही थोड़ा ह्यूमर अर्थात मनोरंजन है| हर बात को सीरियसली या पर्सनली न ले कर आराम […]
Our culture is transmitted through language. Without ongoing literary transmission and enrichment, culture cannot survive. The Indian Literary and Art Society of Australia (ILASA Inc.) has been hosting Hindi Diwas events for more than 10 years to promote Hindi language in Australia. ILASA, in collaboration with Bhartiya Vidya Bhawan, Little India Harris Park Business Association […]
संतराम बजाज काफी दिनों से मैं ने समाचार पत्र पढ़ने बंद कर रखे थे क्योंकि फजूल की बातें लिखकर समय बरबाद करते रहते हैं| शायद यह मेरी बेवकूफी थी| कल कुछ और काम न होने के कारण एक समाचार पत्र खोल ही डाला| अरे, वाह! क्या रोचक समाचार थे| कुछ एक को पढ़ कर तो […]
अब मुझे पूरा विशवास हो गया है कि मेरा नाम संतराम बजाज है और मैं किस वर्ष के कौन से महीने में किस दिन पैदा हुआ था| आप सोचेंगे कि मुझे क्या हो गया हैं कि मैं ऐसी बहकी बहकी बातें कर रहा हूँ| तो भई! जब आप से दिन में आठ दस बार यही […]
माँ तो हर एक की होती है और हर माँ अपने बच्चों से प्यार करती है|चोट बच्चे को लगे तो पीड़ा माँ ही को होती है| खुद भूखी रह कर भी बच्चे के खाने की चिंता माँ को होती है| आप ने देखा होगा जब छोटा बच्चा गिर जाए और थोड़ी सी चोट पर रोने […]
हम सब मारे मारे फिरते हैं, ख़ुशी को ढूँढ़ने में| मंदिरों,मस्जिदों, गुरुद्वारों और गिरिजाघरों में सिर झुकाते हैं, बाबाओं के डेरों परजा माथा रगड़ते हैं | क्या ख़ुशी मिलती है? शायद पल भर के लिए हम सैंकड़ों और हज़ारों लोगों की उपस्थति देख, उन्हें झूम झूम कर नाचते देख सुरक्षित महसूस कर, उसे ही ख़ुशी […]
दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपति बनने के बाद एक बार नेल्सन मंडेला अपने सुरक्षकर्मियों के साथ एक रेस्त्रां में खाना खाने गए । सबने अपनी अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और खाना आने का इंतज़ार करने लगे। उसी समय मंडेला की सीट के सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति अपने खाने का इंतज़ार कर रहा […]
मुझे गूगल पर बहुत गुस्स्सा आता है आजकल| आप पूछेंगे क्यों भाई? बात समझने के लिए, जरा आप को थोड़ा धीरज से बैठना होगा और बिना टोके, मेरी बात ध्यान से, कान लगा कर सुननी होगी| हम जब बच्चे होते थे, हाँ भई सच है, हम भी कभी बच्चे थे| उस समय गूगल नाम की […]
एपिसोड 4 (चुनाव स्पेशल) हमारी कोशिश रही है कि इस शीर्षिक के नाम से इधर उधर की ख़बरों पर या बीत गये कुछ हालात पर टिप्पणी की जाए| हमारा इरादा किसी का मज़ाक उडाना या किसी की बुराई करना बिलकुल नहीं है| “कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सब की खैर न काहू से दोस्ती, न […]
आप में से शायद ही कोई होगा जिस के बचपन में कान नहीं खिचे या बड़े होने पर दूसरों के कान खींचने का मौका नहीं मिला| घर में हों या स्कूल में, छोटी मोटी शरारतों पर अक्सर कान पकड़ कर एक हल्का सा मरोड़ा दिया जाता था या फिर आप को ही अपने दोनों कान […]